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शक्ल और स्मार्टनेस देखना ही काफी नहीं है..पापा जबसे ऑफिस से लौटे हैं, मम्मी से पता नहीं क्या बातें किए जा रहे हैं, मुझे कुछ समझ भी नहीं आ रहा, कान लगा तो रही हूं, पर कुछ पल्ले नहीं पड़ा, थोड़ी देर बाद दोनो मेरे कमरे में आए और बोले, "पापा के दोस्त हैं न श्याम अंकल, उन्होंने तुम्हारा हाथ मांगा है अपने बेटे राजीव के लिए, दोनो के चेहरे से खुशी टपकी सी पड़ रही थी राजीव बैंक मैनेजर था, मैने काफी टाइम से उसे देखा तो नहीं था, पर काफी पुरानी पारिवारिक मित्रता थी दोनो परिवारों में।बात तो मेरे भी खुश होने की थी, पर मैं खुश क्यों नहीं हो पा रही थी,